भूमिका
परमप्रेममय श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी ने
देवघर आने के बाद ही विभिन्न विषयों पर जो वाणियाँ दी
उनमें से ९९० वाणियाँ को संग्रह कर प्रकाशित हुआ शाश्वती ग्रन्थ.
देवघर आने के बाद ही विभिन्न विषयों पर जो वाणियाँ दी
उनमें से ९९० वाणियाँ को संग्रह कर प्रकाशित हुआ शाश्वती ग्रन्थ.
उसी ग्रन्थ के अखंड संस्करण का हिंदी अनुवादित अंश
आपके लिये प्रस्तुत है.
जयगुरु !
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